बात उन दिनों की है जब मैं कल्याण कॉलेज भिलाई में पढ़ा करता था। मैं आईएएस की तैयारी के लिये लोक प्रशासन, दर्शन शास्त्र और हिंदी साहित्य पढता था जबकि मेरे ग्रेजुएशन के सब्जेक्ट्स मैथ्स, फिजिक्स और इलोक्ट्रॉनिक्स थे। इसलिये पूरे साल आईएएस तैयारी करता था।
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मैथ्स, फीजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये पूरे साल भर मैं कोई पढ़ाई नही करता था। कालेज भी नही जाता था। ऐसा मैं दो दोस्तों के भरोसे ही करता था। एग्जाम के समय गैप में केवल 1 दिन में ही हितेश मुझे इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रशांत मुझे 1 ही दिन में मैथ्स पढ़ाता था। 24 घंटे में 1 बार कोर्स करने के बाद बाकी के तीन या चार दिन के गैप में मैं रिवीजन करता था। और एग्जाम में मैं टॉप करता था; लेकिन हितेश और प्रशांत को हमेशा खुशी होती थी। सच्चा दोस्त हमेशा आपकी निःस्वार्थ मदद करता है; आपकी सफलता में वो खुश होता है और आपकी असफलता में उसे दर्द होता है।
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