हमारे अघरिया समाज के यूथ आईकान श्री ओमप्रकाश चौधरी के बारे मेँ मेरे एक मित्र राज चुन्नी शर्मा के विचार उन्ही के शब्दोँ मेँ
दोस्त मैँने अक्सर बड़े सेलिब्रेटिज के पीछे चाहने वाले फैँन्स को भागते. सेल्फी के लिए आग्रह करते हुये तो देखा था लेकिन सामान्य जनजीवन मेँ यह दृष्य बहुत ही कम ही देखने को मिलते हैँ। ऐसी दीवानगी, वास्तविक जीवन मेँ ऐसा जुनून हमारे कलेक्टर श्री O P Choudhary ( IAS ) के लिए युवाओँ मेँ देखा है। ये देखकर मन को सुख और तसल्ली होती है कि हमेँ जीवन के पर्दे के एक वास्तविक नायक के सँग काम करने का अवसर मिला है जिसे हजारोँ युवा और लोग दिल से चाहते हैँ।
ये चाहत यूँ ही नहीँ इसके पीछे बहुत से लाजमी कारण हैँ। आज आपके साथ उनकी एक सच्ची दास्तान को शेयर कर रहा हुँ । इसे जानकर आपके मन मेँ भी उनके लिए सम्मान और इज्जत का भाव जागृत हो जायेगा।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के एक गाँव बायँग मेँ 8 साल की अल्प आयु मेँ ही ओ पी सर के पिताजी का साया उनके सिर से उठ गया तब विषम परिस्थियोँ मेँ उनकी माताजी ने कड़ी मेहनत और सँघर्ष कर उन्हेँ पढ़ाया।
छोटे से साधनविहीन सरकारी स्कूल पढ़ाई करने के बाद 2005 मेँ महज 23 साल की युवा अवस्था मेँ छत्तीसगढ़ राज्य के पहले IAS बनने का गौरव हासिल किया। उन्हे शिक्षा के माध्यम से नक्सल समस्या से ग्रसित लोगोँ के विकास मेँ उत्कृष्ट योगदान के लिए वर्ष 2011-12 के लिए “लोक प्रशासन मेँ उत्कृष्टता” के लिए लब्ध प्रतिष्ठित प्रधानमँत्री पुरुस्कार प्राप्त हो चुका है। आपने यह कार्य दँतेवाड़ा मेँ किया जो सुरक्षा बलोँ और माओवादी विद्रोहियोँ के बीच लड़ाई के लिए जाना जाता है और य़हाँ की साक्षरता दर 42% है जो भारत मेँ सबसे कम है। इसके ईतर श्री ओ पी सर के ऐसे अनेक प्रयास हैँ जिसका सीधा सँबँध विकास और नागरिक कल्याण से है।
राजधानी जिले के कलेक्टर होने के नाते हमेशा बहूत से कार्यो का अतिरिक्त दबाव होता है इसके बावजूद युवाओँ को पढ़ने उनके कैरियर को बेहतर बनाने के लिए समुचित मार्गदर्शन देने उन्हे गाईड करने के लिए ओ पी सर की कार्यप्रणाली बेहद लोकप्रिय होती है। युवा बड़ी शिद्दत के साथ इसका इँतजार करते हैँ और जब भी अवसर मिलता है वे हजारोँ की सँख्या मेँ इन विशेष मोटिवेशन सत्रोँ मेँ शामिल होने से चूकना नहीँ चाहते। ओ पी सर कलेक्टर के रुप मेँ अपना दायित्व निभाते समय बड़े बड़े रसूखदार लोगोँ के साथ आवश्यकता पड़ने पर शक्ति के साथ निपटते हैँ। वहीँ उनके चेम्बर मेँ आने वाले किसी भी गरीब और हासिए पर छूटे हुए जरुरतमँदोँ के प्रति उनका व्यवहार विनम्रता और आत्मीयता से परिपूर्ण होता है. जब वे ग्रामीण क्षेत्रोँ मेँ जाते हैँ और यदि आप उन्हे ग्रामीणोँ के साथ बात करते हुये देखते हैँ तो आपको विश्वास ही नहीँ होगा कि वे एक सख्त प्रशासनीक अधिकारी हैँ।
जब वे आम लोगोँ से सीधा छत्तीसगढ़ी मेँ बात करते हैँ तो लोग उनके आत्मीय व्यवहार से उनके मुरीद हो जाते हैँ।
ओ पी सर के शब्द “आप जिँदगी से क्या चाहते हैँ आपको पता है तो दुनिया की कोई ताकत आपको परेशान नहीँ कर सकती फिर आप बड़े आदमी होँ या झोपड़पट्टी मेँ रहने वाले आम ईन्सान। यदि आपको रात मेँ चैन की नीँद आती है तो इसका मतलब है जिँदगी बहुत अच्छी चल रही है। जब हम खुद के सवाल का जवाब न दे पायेँ तो समझ जायेँ कहीँ कोई दिक्कत है। कुल मिलाकर लाईफ का फण्डा क्लीयर होना चाहिए“।
हर युवा हर इँसान के लिए जो जीवन के किसी भी क्षेत्र मेँ सफल होना चाहता है उसके लिए ओ पी सर का मँत्र है “जिँदगी की हर एक मँजिल एक पड़ाव है। सपना हर दिन देखना चाहिए हर दिन अच्छा काम करना चाहिए खुश रहिए मस्त रहिए। वे कहते हैँ कि कभी वो लाईफ मेँ डिप्रेस नहीँ हुए वे हमेशा पाजीटिव रहते हैँ। उनके सामने काम करते हुए लगा कि आप जो चाहेँ जीवन मेँ हासिल कर सकते हैँ बस आपमेँ सकारात्मक सोच के साथ आप मेँ उसे पूरा करने का जुनून और माद्दा होना चाहिए ।। Proud of You O P Sir .
Written by Vijay Patel