हमारे समाज के कीर्तिस्तंभ श्री ओमप्रकाश चौधरी जी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। आज जब अखबारों और सोशल मीडिया पर उनके कलेक्टर पद से त्यागपत्र देकर खरसिया से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडने की खबरें सुर्खियों पर हैं तब उनके जीवन और कार्यकलापों पर एक नजर-
रायगढ़ नंदेली खरसिया मार्ग पर स्थित एक छोटे से गांव बायंग के एक कृषक परिवार में जन्मे श्री ओमप्रकाश चौधरी जी के ८ साल की अल्पायु में ही नियति ने उनके सर से पिता का साया छीन लिया। तब विषम परिस्थितियों में उनकी माता जी ने कड़ी मेहनत और संघर्ष करते हुए उन्हे पढ़ाया।उन्हें बचपन में ही दादा जी की लाठी और सहारा बनना पड़ा।लेकिन उन्होंने आत्मविश्वास और साहस न खोते हुए गांव, रिश्तों और व्यवहारिक समस्याओं को इतने गहरे से जिया कि उस संवेदनशीलता की गहरी छाप उनके जीवन और कार्यों पर झलकती है।आज भी उन्हें गांव में होली में डंडा नाच में सकून मिलता है और पिट्ठुल खेलने में आनंद आता है। वे अपने दौरे के दौरान किसी गांव में बच्चों को क्रिकेट खेलते देखकर खुद को बल्ला पकड़ने से रोक नहीं पाते।
छोटे से साधनविहीन सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद P.E.T. में अच्छे रैंक लाकर सफल होने के बाद भी उन्होंने इंजीनियरिंग न करके सिविल सेवा में जाने की अभिलाषा में B.S.C. करने को प्राथमिकता दी। २००५ में महज २३ साल की युवावस्था में ही उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम I.A.S. बनने का गौरव हासिल किया। छत्तीसगढ़ राज्य कैडर मिलने के पश्चात वे जिला पंचायत C.E.O. और नगर निगम कमिश्नर के रूप में अपना प्रारंभिक कार्यकाल प्रारंभ किया। एक बार मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा कलेक्टर्स की मीटिंग के दौरान पुछा गया कि धुर नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा का कलेक्टर बनके कौन जाना चाहेगा। सबकी चुप्पी देखते हुए एक दुबला पतला सा युवा उठ खड़ा हुआ और दंतेवाड़ा कलेक्टर बनने की चुनौती स्वीकार की। ये थे हमारे ओमप्रकाश चौधरी जी।
दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते हुए इन्होंने दंतेवाड़ा जिले को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहचान कराई जो कि पहले नक्सलवाद का पर्याय माना जाता था। इनकी “लाइवलीहुड कालेज” की संकल्पना ने मध्यम वर्ग के लोगों के रोजगार के लिए संजीवनी का काम किया। इसी तर्ज में आगे चलकर पूरे छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में लाइवलीहुड कालेज की स्थापना की गई।साथ ही पूरे देश में इसका वृहद रूप ” प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र” के रूप में दिखाई देता है। उन्हे शिक्षा के माध्यम से नक्सल समस्या से ग्रसित लोगों के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए २०११-१२ वर्ष हेतु लब्ध प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी शिक्षक दिवस में बच्चों से संवाद कार्यक्रम में कहा था कि दंतेवाड़ा ने शिक्षा के क्षेत्र में इतने इनिशिएटिव लिए गए हैं कि आने वाले समय में पूरे देश के शिक्षाविदों का ध्यान इस ओर जाएगा।
हमारे जांजगीर जिला में कलेक्टर रहते हुए उनके बहुत से कार्य मील के पत्थर साबित हुए।सैनिक भर्ती , धान खरीदी का समुचित व्यवस्था करके किसानों को निश्चिंत करना, धान संग्रहण में कड़ाई से व्यवस्था लागू कर प्रदेश में पहली बार ” जीरो शोर्टेज” लाकर अन्य जिलों के लिए उदाहरण बनना,नवीन केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना, स्कूलों का सतत निरीक्षण कर कैरियर मार्गदर्शन प्रदान करना और जिलों में रोजगार मेलों का आयोजन इत्यादि।
प्रदेश की राजधानी के कलेक्टर बनने के उपरांत उनकी जिम्मेदारियों के इजाफा हो गया।उनका मानना है कि गरीब,असहाय और बेसहारा बच्चों को भी निजी स्कूलों की सुविधाएं उपलब्ध हो।अभाव और परिस्थिति उनके विकास के लिए बाधक न बन सके।इसको देखते हुए निजी स्कूलों में ऐसे बच्चों को बड़ी संख्या में “राइट टू एजुकेशन ” के तहत प्रवेश दिलाया गया तथा ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के सरकारी स्कूल के बच्चों को ” प्रयास “योजना के तहत विभिन्न संस्थानों और निकायों का शैक्षिक पर्यटन कराया जाता है जिससे वे अपनी रुचि के अनुसार प्रेरणा लें और अपना लक्ष्य निर्धारित कर सकें।इसी दिशा में रोजगार मेले, एजुकेशन सिटी सड्डू रायपुर, लाइवलीहुड कालेज, ऑक्सी रीडिंग ज़ोन के तहत नालन्दा परिसर स्थापित कर सेंट्रल डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना जहां लोगों द्वारा चौबीसों घंटे शांत वातावरण में निर्विघ्न अध्धयन करने की सुविधा उपलब्ध है, के रूप में अभिनव प्रयोग किए।
अपने दादा जी के प्रति अगाध प्रेम ने उन्हें पर्यावरण हितैषी होने के साथ ही साथ बुजुर्गों के प्रति उनकी संवेदना जागृत कर दी। ओल्ड एज होम,बुजुर्गों के मनोरंजन के लिए ” बापू की कुटिया” की श्रृंखला खड़ी करना, बेसहारा लोगों की गहरी चिंता जो सर्व सुविधायुक्त आधुनिक कॉलोनी ” अड्सेना ” के रूप में दिखाई देती है। दुर्घटना में घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले को ५००० रू. की प्रोत्साहन राशि प्रदान करना उनकी समाज के सभी पहलुओं के प्रति गहरी संवेदना को प्रकट करती है।
जहां तक अघरिया समाज के प्रति उनके प्रेम और समर्पण की भावना को देखा जाए तो इसमें भी वो प्रथम पंक्ति में नजर आते हैं।समाज का ऐसा कोई भी महत्वपूर्ण कार्यक्रम नहीं है जिसमें उन्होंने अपनी दमदार भूमिका दर्ज न की हो। उनके प्रति लोगों की चाहत मुझे तमनार में आयोजित १३,१४ दिसंबर २०१४ को आयोजित महासभा के द्वितीय दिवस दिखी जब उनके कार्यक्रम में शामिल हो पाने या न हो पाने की स्थिति आ रही थी तब दूर दराज से अपने बच्चों के साथ पहुंचे पालकों के चेहरे पर निराशा परिलक्षित हो रही थी। लेकिन जब उनका आगमन हुआ सबके चेहरे खिल उठे।युवाओं को सफलता के गुर बताते हुए उन्होंने सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण होने लेकिन साक्षात्कार में असफल युवा को आगे की तैयारी के लिए ५०,००० रू. की प्रोत्साहन राशि तथा सामाजिक कोष में अंशदान के रूप में हर वर्ष ५०,००० रू. प्रदान करने की घोषणा की। इसी प्रकार २५ दिसंबर २०१५ को हमारे डभरा के रेड़ा में युवा महासम्मेलन में युवाओं में जोश और ऊर्जा का संचार करते हुए तथा ६ नवंबर२०१६ को धनागर रायगढ़ में समाज में घटते लिंगानुपात पर चिंता व्यक्त करते हुए अपनी संतान के लिए मां के त्याग ,समर्पण और अपनत्व की भावना का गुणगान किया। इस कार्यक्रम के लिए ५१,००० रू. और रायपुर में भवन के लिए उन्होंने २० लाख रू.के अनुदान की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया। पिछले १९ अगस्त २०१८ को रायगढ़ में आयोजित ” कैरियर मार्गदर्शन और प्रतिभा सम्मान समारोह” में भी युवाओं को समस्या और कठिनाइयों का डटकर मुकाबला करते हुए सफलता प्राप्त करने पर जोर दिया।
श्री ओमप्रकाश चौधरी जी युवाओं के लिए एक आदर्श रोल मॉडल के रूप में उभर कर सामने आए हैं। प्रशासनिक क्षेत्रों में तो उन्होंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया है यदि वे राजनीति में आतें हैं तो हमें आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि वे राजनीति में शुचिता की भावना के साथ हम सबके मन में राजनीति के प्रति सोच बदलने पर मजबूर कर राजनीति को जनसेवा के रूप में वास्तविक रूप से बदलते हुए नए कीर्तिमान गढ़ेंगे । हमारी शुभकामनाएं है कि वे जिस क्षेत्र में जाएं उनके सदकार्यों की श्रृंखला निरंतर चलायमान रहे और पूरे समाज को उनका लाभ सदैव मिलता रहे।
Written by Vijay Patel